बेखबरी में जीने की आदत हो गयी है ,
यूँ अकेले थे जब हम ,थे अकेले तब भी नहीं ,
पर अब भीड़ में भी अकेले रहने की आदत हो गयी है ,
वो कहते हैं हमें क्यों हो दुखी
दिल दुखाने की आदत जिन्हें हो गयी है ,
बेखबरी में ...........
लोग कहते हैं हम से , बुरे हो तुम ,
रुलाने की आदत तुम्हे हो गयी है ,
खफ़ा अब हम नहीं होते उन पर ,
इलज़ाम लेकर मुस्कुराने की आदत हो गयी है .
बेखबरी में ...
3 comments:
badhiyaaa hai.. chhooti hai.
kya khub likha hai bhai,..........wish u all the best best for the next one ....:)
nice one...
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