Tuesday, September 1, 2009

नारी


आँखे झुकाना इनकी फितरत नही , मज़बूरी है ।

सपने
तो हैं इनके भी आँसमा छूने के ,पर समझोता जरुरी है ।।

हाँ ये कुछ और नही , एक लड़की की कहानी है ।

जिसके दिल मैं दर्द ,और आँखों मे पानी है । ।

लब्ज़ इनके होठों से भी ,अमादा है गिरने को

पर
पीढियों से कमजोर इनकी आत्मा ,मजबूर है डरने को । ।

चाहत है इनकी भी स्वछंद आँसमा में विचरण की

पर
अँधेरा ही हुआ इनके जीवन में ,जब भी उम्मीद दिखी एक किरण की । ।

अब तो ये इक्कीसवी सदी है

पर
फ़िर भी अन्ततः इनके जीवन में निरासा ही बदी है । ।

कितना भी ये समाज बड़ी बड़ी बातें कर ले

पर
फ़िर भी इनकी जिन्दगी तो अधूरी है । ।

आँखे झुकाना इनकी फितरत नही मज़बूरी है.............

ये क्या क्या हो रहा है

ये क्या क्या हो रहा है........  इंसान का इंसान से भरोसा खो रहा है, जहाँ देखो, हर तरफ बस ऑंसू ही आँसू हैं, फिर भी लोगों का ईमान  सो रहा है।  ...