आँखे झुकाना इनकी फितरत नही , मज़बूरी है ।
सपने तो हैं इनके भी आँसमा छूने के ,पर समझोता जरुरी है ।।
हाँ ये कुछ और नही , एक लड़की की कहानी है ।
जिसके दिल मैं दर्द ,और आँखों मे पानी है । ।
लब्ज़ इनके होठों से भी ,अमादा है गिरने को ।
पर पीढियों से कमजोर इनकी आत्मा ,मजबूर है डरने को । ।
चाहत है इनकी भी स्वछंद आँसमा में विचरण की ।
पर अँधेरा ही हुआ इनके जीवन में ,जब भी उम्मीद दिखी एक किरण की । ।
अब तो ये इक्कीसवी सदी है ।
पर फ़िर भी अन्ततः इनके जीवन में निरासा ही बदी है । ।
कितना भी ये समाज बड़ी बड़ी बातें कर ले ।
पर फ़िर भी इनकी जिन्दगी तो अधूरी है । ।
आँखे झुकाना इनकी फितरत नही मज़बूरी है.............