Tuesday, August 31, 2010

ना जाने ये क्या हो गया है ,
दुनिया कुछ सिमट सी गयी है इन दिनों ,
सुबह से शाम हो जाती है ,
शाम से सुबह ,पर होता कुछ भी नहीं
इस बीच कुछ चहेरे याद आते हैं
मीठी सी याद छोड़ जाते हैं ,
ठहाको को याद कर हलकी सी मुस्कान तो आ जाती है ,
पर साथ ही इन आँखों को नम कर जाती है
क्लास तो अब भी है यहाँ
पर अब वो चहेरे नहीं रहे
नए चहेरों में भी उस पुराने चहेरे को दिल ढूंढ़ता है
पर नहीं मिलता वो सख्स जो रोज़ मिलता है .

ये क्या क्या हो रहा है

ये क्या क्या हो रहा है........  इंसान का इंसान से भरोसा खो रहा है, जहाँ देखो, हर तरफ बस ऑंसू ही आँसू हैं, फिर भी लोगों का ईमान  सो रहा है।  ...