Wednesday, April 28, 2010

" पाठशाला "

हाँ, सही पढ़ा पाठशाला । आज दोस्तों के साथ बैठे हुए अनजाने में ही कुछ बातें निकल पड़ी ,बस चाहता था उन्हें लिखना । अभी कुछ ही दिन पहले एक मूवी आई नाम "पाठशाला "। काफी अच्छे से चित्रांकन किया गया था आज कल की बदलती रितिओं का , स्कूलों में होने वाले उस बदलाव का जो आज की मांग हैं ,परन्तु साथ में समाज से एक प्रश्न भी पूछा गया था की क्या ये सब बदलाव जरुरी हैं ।

आज हर जगह पब्लिसिटी ही सब कुछ बन गयी है । हाँ अब मैं अपने मुद्दे की बात कर सकता हूँ । मुझे लगता है की पाठशाला मूवी से हमारे कॉलेज ने बहुत कुछ सिखा है । अरे , आप कितना पोसिटिव सोचते हैं , हमारे काल ने ये नहीं सिखा की education कैसे अच्छा किया जाए ,बल्कि हमारे कॉलेज ने सिखा है की पब्लिसिटी कैसे हासिल की जाए ।
मैं ये क्यों न कहूँ आखिर हर कोई ये कह रहा है ,और क्यों न कहे काम ही ऐसे हैं , एक दिन बहुत बड़ा advertisement आता है -"mega job fair " mahindra satyam , ncr,niit और भी कुछ companies के नाम ,अभी जोक ख़तम नहीं हुआ ,फिर एक इ-मेल आता है जिसमे किसी कंपनी का नाम होता है - microland & euclid ,और फिर दुसरे दिन हम कॉलेज पहुचते हैं now companies are ........... पता नहीं कोन-कोन सी थी ,
हाँ-हाँ बता रहा हूँ package ,(थोडा दिल थाम के बैठना क्युकी package कुछ ज्यादा था) 1.2 & दूसरी का सायद 1.5 .हम तो वापस आ गए पर आखिर सवाल एक ही आता है ये सब हो क्या रहा है ,तब कहीं किसी कोने से मेरे कानो में आवाज़ आई पाठशाला ।
हाँ ये पब्लिसिटी का ही तो तरीका था मेगा जॉब फेयर । आजकल ये मेगा जॉब फेयर पढ़ के हंसी आ जाती है । क्युकी मैंने सिर्फ आपने कॉलेज के ही मेगा फेयर देखे हैं ।
[:)]

Sunday, April 25, 2010

हमारे नेता

आज सुबह थी ,चारों ओर चुनाव की चर्चा ।
इसी दौरान मेरे हाँथ में आया एक चुनावी पर्चा ॥
पर्चे में थी नेता की घोषणा ,जिसमे लग रही थीं बातें झूठी ।
चूँकि पांच साल जो उसने किया उससे थी जनता रूठी ॥
ये नेता है पढ़ा लिखा जो जानता है जनता को मनाना ।
वह जनता है ,ये हैं अगय्नी बस इन्हें पिलाओ दारु और खिलाओ खाना ॥
नेता ने अभी चुनाव भी नहीं जीता था ,और रणनीति बनाने लगा समाज को लुटने की ।
एक बार जीतने तो दो ,वह नेता भी लेगा ट्रेनिंग समाज से रूठने की ॥
रूठेगा ऐसा ,की पांच साल तक जनता को देखेगा भी नहीं ।
मुंह मोड़ लेगा ,यदि जनता मिल भी जाये कहीं न कहीं ॥
खुद बनेगा मंत्री ,और सगे-सम्बन्धियों को नौकरी देगा सरकारी ।
उसे कोई चिंता नहीं होगी ,चाहे समाज में बड़े कितनी ही बेकारी ॥
आज ही अख़बार से पता चला की , पांच साल पहले एक गरीब किसान बना था मंत्री ।
और आज बिना मंत्री हुए भी ,उसके घर पहरा देते हैं संत्री ॥
एक संवाददाता इस मंत्री के पास पहुंचा ।
मंत्री जी ने भी interview देने का सोचा ॥
संवाददाता ने पूंछा-"आपकी अमीरी का है क्या राज़ "।
मंत्री ने कहा -"आपको मालूम नहीं ! हमारे सर प्रदेश सरकार का है ताज "॥
इस तरह संवाददाता ने पूछे और भी कई प्रशन ससक्त ।
होश उड़ गए संवाददाता के जब मंत्री ने किये जवाब व्यक्त ॥
अगले दिन जब संवाददाता ने इस साक्षात्कार को समाचारपत्र में छापा ।
जनता ने जब इसे पड़ा तो वो भी खो बैठी अपना आपा ॥
जनता अगर समझ जाए इस राजनीती का राज ।
तो समाज अग्रसर हो जाएगा विकास की ओर आज ॥
विकास की ओर आज ......

ये क्या क्या हो रहा है

ये क्या क्या हो रहा है........  इंसान का इंसान से भरोसा खो रहा है, जहाँ देखो, हर तरफ बस ऑंसू ही आँसू हैं, फिर भी लोगों का ईमान  सो रहा है।  ...