Friday, February 25, 2011

बेखबरी.......

बेखबरी में जीने की आदत हो गयी है ,

यूँ अकेले थे जब हम ,थे अकेले तब भी नहीं , 
पर अब भीड़ में भी  अकेले रहने की आदत हो गयी है ,

वो कहते हैं हमें क्यों हो दुखी 
दिल दुखाने की आदत जिन्हें हो गयी है  ,

बेखबरी में ...........

लोग कहते हैं हम से , बुरे हो तुम ,
रुलाने की आदत तुम्हे हो गयी है ,

खफ़ा अब हम नहीं होते उन पर ,
इलज़ाम लेकर मुस्कुराने की आदत हो गयी है .
बेखबरी में ...







3 comments:

Unknown said...

badhiyaaa hai.. chhooti hai.

Unknown said...

kya khub likha hai bhai,..........wish u all the best best for the next one ....:)

sameer said...

nice one...

ये क्या क्या हो रहा है

ये क्या क्या हो रहा है........  इंसान का इंसान से भरोसा खो रहा है, जहाँ देखो, हर तरफ बस ऑंसू ही आँसू हैं, फिर भी लोगों का ईमान  सो रहा है।  ...