Tuesday, August 31, 2010

ना जाने ये क्या हो गया है ,
दुनिया कुछ सिमट सी गयी है इन दिनों ,
सुबह से शाम हो जाती है ,
शाम से सुबह ,पर होता कुछ भी नहीं
इस बीच कुछ चहेरे याद आते हैं
मीठी सी याद छोड़ जाते हैं ,
ठहाको को याद कर हलकी सी मुस्कान तो आ जाती है ,
पर साथ ही इन आँखों को नम कर जाती है
क्लास तो अब भी है यहाँ
पर अब वो चहेरे नहीं रहे
नए चहेरों में भी उस पुराने चहेरे को दिल ढूंढ़ता है
पर नहीं मिलता वो सख्स जो रोज़ मिलता है .

4 comments:

Anamikaghatak said...

ना जाने ये क्या हो गया है ,
दुनिया कुछ सिमट सी गयी है इन दिनों ,
सुबह से शाम हो जाती है ,
शाम से सुबह ,पर होता कुछ भी नहीं
इस बीच कुछ चहेरे याद आते हैं

bahut sundar prastuti.............

lalit said...

shaandaaar sahab

Matt said...

yeah true!!!

vibhor said...

nice.......bahut khoob

ये क्या क्या हो रहा है

ये क्या क्या हो रहा है........  इंसान का इंसान से भरोसा खो रहा है, जहाँ देखो, हर तरफ बस ऑंसू ही आँसू हैं, फिर भी लोगों का ईमान  सो रहा है।  ...