ये क्या क्या हो रहा है........
इंसान का इंसान से भरोसा खो रहा है,
जहाँ देखो, हर तरफ बस ऑंसू ही आँसू हैं,
फिर भी लोगों का ईमान सो रहा है।
ये क्या हो रहा है.....
कहीं इंजेक्शन का धंधा,कहीं ऑक्सीजन की कालाबाज़ारी,
कोई लाश लिए , शमशान में एक कोने के लिए रो रहा है।
ये क्या हो रहा है.....
जिसे बेड मिला ,फिर उसने बेड छोड़ा नहीं,
किसी ने बेड के इंतज़ार में दम तोड़ दिया,
इंसान क्यों इंसानियत खो रहा है।
ये क्या हो रहा है.......
हर दूसरे ने, बस मौके का फायदा उठाया,
ज़मीर बेच-बेच खूब पैसा कमाया,
देखो तो, एम्बुलेंस का किराया भी आसमान छू रहा।
ये क्या हो रहा है.......
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