क्या दौर आया ज़माने का , कि हिसाब करने वाले बिक गए,
सच और झूठ क्या है , ये बताने वाले बिक गए।
आँखों से आँसू नहीं छलकते अब ,
क्या कहें मृदु , शायद आंसुओं के पैमाने बदल गए।
इंसानियत छोड़ , इंसान बदल गए ,
उस छोटे से कसबे में जो दिखते थे घर, वो मकाँ बदल गए।
देखता हूँ उनको नहीं डरते गलत करने में ,
सोचते हैं गलत करने क अंजाम बदल गए।
सच्चे हैं जो परेसान हुआ करते हैं ,
कोसते हैं , हमारे तो भगवन बदल गए।
बदलाव का ये क्या मंज़र दिखाया तूने ,
देखते देखते लोगों के ईमान बदल गए।
1 comment:
true sayings..very nice.
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