नजरिया क्या है ? एक शिक्षक ने जब ये सवाल अपने शिष्यों ये किया और मिले ढेर सारे जवाब ,शिक्षक थोडा सा मुस्कुराया और बड़े सहज भाव से कहा -"बेटा ! यही है नजरिया । मैंने एक सवाल तुमसे किया और तुम लोगो ने ढेर सारे उत्तर दिया , सबने अपने हिसाब से , बस यही है नजरिया ।"
कितनी आसानी से उस शिक्षक ने नजरिये की परिभाषा अपने बच्चों को सिखा दी । पर आज लोग इस भीड़ भरी दुनिया में परेशान हैं तो वजह है सिर्फ -"नजरिया " हर किसी को बड़ा बनना है भीड़ में अपनी पहचान बनानी है , मैं ये कतई नहीं कहता की मुझे अपनी पहचान नहीं बनानी ,बनानी है ,पर थोडा अंतर है । शायद अभी ये कहना छोटे मुह बड़ी बात होगी की कैसे । मैं खुस हूँ मैं जैसा हूँ ,पर मैं भी इन्सान हूँ जब कभी परेशान होता हूँ तो सिर्फ इस नजरिये की वजह से ,न जाने क्यों मैं भी दोड़ने लगता हूँ सबके साथ । पर हाँ छोटी- छोटी बातों से बहुत कुछ सीखना मुझे विरासत में मिला है । आज मैंने एक ऐसे आदमी को देखा जिसके पैर नहीं थे और वो बंदा खुस था ,एक आदमी ने उससे कुछ पूछा तो उसने मस्त होकर जवाब दिया सामने वाला भी हसने लगा ,वो अपंग आदमी एक भिखारी था । मैंने सोचा उसने अपनी जिन्दगी में कभी नहीं चाहा होगा की वो भीक मांगे , क्या उसे अपने अपंग होना का दुःख नहीं होगा पर मैंने जाना उसका नजरिया . "कितने लोग हैं जिनके हाँथ पैर दोनों नहीं है ,मेरे तो कमसे कम हाँथ है मैं घिसट के ही सही चल पा रहा हूँ पर उनका क्या वो बेचारे तो एक ही जगह पर जिन्दगी काट देते हैं ,कहीं जाना हो तो दूसरों पे निर्भर रहते हैं । मैं उनसे तो बेहतर हूँ । "
उस भिखारी ने एक सीख दे दी ,वो चाहता तो हम जैसे लोग जिनके पास भगवन का दिया सब कुछ है को देख के दुखी हो सकता था पर उसने चाहा वो रास्ता जिसमे सुखी रह सके ,ये है नजरिया ।
और हमारी हालत कुछ ऐसी है की १० की चाह मैं हम दोड़ते हैं जब हमें १० मिल जाते हैं तो हम १०० की चाहत में दोड़ने लगते हैं ,जब १०० मिल जाते हैं तो १००० की चाहत में , इस तरह हम पूरी जिन्दगी दोड़ते रहते है कभी समय ही नहीं निकल पाते ये देखने के लिए की हमारे पास क्या है । "ज्यादा हमारी फितरत है " हम हमेशा भागते रहते है कुछ हासिल करने के लिए पर उसे देखते ही नहीं जो हमने हासिल किया है ,हम दुखी हैं इसलिए नहीं क्यूंकि हमारे पास फलानी वस्तु नहीं हम दुखी हैं क्यूंकि वो किसी दुसरे के पास है ,पर हम खुस रह सकते हैं ये सोच के की कितनी सारी चीज़ें हैं जो हमारे पास हैं पर दूसरों के पास नहीं , बस यही है "najariya"।
DEDICATED TO MY FATHER
who teach me lesson of happiness
संवेदना एक अभिव्यक्ति है ,उन सभी के लिए जो मुझसे किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं , मेरे परिवारजन ,मेरे मित्रगण और वो तमाम लोग जो परोक्ष में मुझसे जुड़े हुए हैं....
Sunday, March 7, 2010
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5 comments:
achchha najariya hai!!!....... be happy......
kya najariya hai....... bhai..........!!!!
nice one kavi sahab,....
Really yar maja aa gya
Mujhe apne nazariye ko phachanne me help mili
Thank you
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