Sunday, April 25, 2010

हमारे नेता

आज सुबह थी ,चारों ओर चुनाव की चर्चा ।
इसी दौरान मेरे हाँथ में आया एक चुनावी पर्चा ॥
पर्चे में थी नेता की घोषणा ,जिसमे लग रही थीं बातें झूठी ।
चूँकि पांच साल जो उसने किया उससे थी जनता रूठी ॥
ये नेता है पढ़ा लिखा जो जानता है जनता को मनाना ।
वह जनता है ,ये हैं अगय्नी बस इन्हें पिलाओ दारु और खिलाओ खाना ॥
नेता ने अभी चुनाव भी नहीं जीता था ,और रणनीति बनाने लगा समाज को लुटने की ।
एक बार जीतने तो दो ,वह नेता भी लेगा ट्रेनिंग समाज से रूठने की ॥
रूठेगा ऐसा ,की पांच साल तक जनता को देखेगा भी नहीं ।
मुंह मोड़ लेगा ,यदि जनता मिल भी जाये कहीं न कहीं ॥
खुद बनेगा मंत्री ,और सगे-सम्बन्धियों को नौकरी देगा सरकारी ।
उसे कोई चिंता नहीं होगी ,चाहे समाज में बड़े कितनी ही बेकारी ॥
आज ही अख़बार से पता चला की , पांच साल पहले एक गरीब किसान बना था मंत्री ।
और आज बिना मंत्री हुए भी ,उसके घर पहरा देते हैं संत्री ॥
एक संवाददाता इस मंत्री के पास पहुंचा ।
मंत्री जी ने भी interview देने का सोचा ॥
संवाददाता ने पूंछा-"आपकी अमीरी का है क्या राज़ "।
मंत्री ने कहा -"आपको मालूम नहीं ! हमारे सर प्रदेश सरकार का है ताज "॥
इस तरह संवाददाता ने पूछे और भी कई प्रशन ससक्त ।
होश उड़ गए संवाददाता के जब मंत्री ने किये जवाब व्यक्त ॥
अगले दिन जब संवाददाता ने इस साक्षात्कार को समाचारपत्र में छापा ।
जनता ने जब इसे पड़ा तो वो भी खो बैठी अपना आपा ॥
जनता अगर समझ जाए इस राजनीती का राज ।
तो समाज अग्रसर हो जाएगा विकास की ओर आज ॥
विकास की ओर आज ......

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