अक्सर कुछ चहेरे मुझे ख्वाब मैं आया करते हैं ,
न जाने क्यों ,बे-वजह ही मुझे आजमाया करते हैं ,
कभी किसी बूढ़े की आंखों में ,
कभी किसी डरे हुए बच्चे की साँसों में ,
वो मुझे कुछ समझाया करते हैं ,
अक्सर कुछ ..............
दिन ढलते हैं ,
मौसम बदलते हैं ,
पर ये ख्वाब नही बदलते ,
यूँ ही कभी रस्ते पर चलते हुए ,
किसी भिकारी के चहेरे पर , ये मुझे अपना संदेशा सुनाया करते हैं ,
अक्सर कुछ .........
मैं नसमझ न समझा , अब तक इनकी जबानी ,
इशारों में इनके , तजुर्बों की कहानी ,
न समझा की ये मुझे क्या समझाया करते हैं ,
अक्सर कुछ .........
इक रात फ़िर वही सपना जब मुझे आया ,
तो मैंने अपना चेहरा ही उस चहेरे मैं पाया ,
वो तो बस 'न भुलाना अपने आपको' ये सिखाया करता था ,
अब मैं समझा की अपना चेहरा ही मुझे ख्वाब मैं आया करता था ॥
संवेदना एक अभिव्यक्ति है ,उन सभी के लिए जो मुझसे किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं , मेरे परिवारजन ,मेरे मित्रगण और वो तमाम लोग जो परोक्ष में मुझसे जुड़े हुए हैं....
Saturday, December 5, 2009
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2 comments:
is it about night-mare???
bahut gehraai hai dost
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