Saturday, December 5, 2009

ख्वाब

अक्सर कुछ चहेरे मुझे ख्वाब मैं आया करते हैं ,
न जाने क्यों ,बे-वजह ही मुझे आजमाया करते हैं ,
कभी किसी बूढ़े की आंखों में ,
कभी किसी डरे हुए बच्चे की साँसों में ,
वो मुझे कुछ समझाया करते हैं ,
अक्सर कुछ ..............

दिन ढलते हैं ,
मौसम बदलते हैं ,
पर ये ख्वाब नही बदलते ,
यूँ ही कभी रस्ते पर चलते हुए ,
किसी भिकारी के चहेरे पर , ये मुझे अपना संदेशा सुनाया करते हैं ,
अक्सर कुछ .........

मैं नसमझ न समझा , अब तक इनकी जबानी ,
इशारों में इनके , तजुर्बों की कहानी ,
न समझा की ये मुझे क्या समझाया करते हैं ,
अक्सर कुछ .........

इक रात फ़िर वही सपना जब मुझे आया ,
तो मैंने अपना चेहरा ही उस चहेरे मैं पाया ,
वो तो बस 'न भुलाना अपने आपको' ये सिखाया करता था ,
अब मैं समझा की अपना चेहरा ही मुझे ख्वाब मैं आया करता था ॥

2 comments:

vibhor said...

is it about night-mare???

shashank said...

bahut gehraai hai dost

ये क्या क्या हो रहा है

ये क्या क्या हो रहा है........  इंसान का इंसान से भरोसा खो रहा है, जहाँ देखो, हर तरफ बस ऑंसू ही आँसू हैं, फिर भी लोगों का ईमान  सो रहा है।  ...