जिन्दगी बड़ी ही रोचक कहानी है ,चाहे वो किसी की भी हो मेरी या किसी और की । हर नया दिन नया पन्ना लगता है ,और हमेशा अगला पन्ना जानने की इच्छा बनी रहती है । जब भी जिन्दगी में दो रास्ते आ जाते हैं ,तो सामान्य आदमी भटक ही जाता है , जो चीज उन्हें भटकने से रोकती है वो है उनका "मूल्यांकन", वो कितना सच बोलते हैं अपने आपसे । आदमी दूसरों से झूट बोल सकता है पर अपने आप से नही ,और जिसने अपने आप से झूट बोलना सीख लिया उसका भटकना तो निश्चित है ।
पिछले कुछ दिनों से जिन्दगी इन्ही तरह के दोराहों से गुजर रही है । दिल किसी और को सही कहता है और दिमाग किसी और को । पर मैं जान चुका हूँ की दिल सही है या दिमाग । ये दिमाग मेरा है और इसने जो समाज में होते देखा है ,वही करना चाहता है ,क्योंकि बदले की भावना इसी दिमाग की उपज है । जिसने मेरे साथ जैसा किया उसके साथ वैसा ही करूँ ,चाहे वो अच्छा हो या ग़लत । ऐसा नही है की मेरा दिमाग सिर्फ़ ग़लत करने को कहता है ,जिसने मेरे साथ अच्छा किया ,उसके साथ उससे कहीं अच्छा करने को भी यही कहता है ।
पर ये दिल बड़ा अजीब है ,और सच मानिये कहीं न कहीं इस दिल में आपके माँ-बाप क संस्कार समाये हुए हैं ,जो आपको एहसास दिलाते रहते हैं की क्या सही है और क्या नही । और यहीं से शुरू होता है अंतर्द्वंद दिल और दिमाग का । पर सच तो यही है की इस दिल ने कभी झूठ नही बोला । ये दिल ही है जो ये कहता है की किसी और के लिए तुम कैसे बदल सकते हो । कोई तुम्हारे साथ कुछ भी करे , तुम हमेशा दूसरों के साथ अच्छा करना । अगर दूसरों ने तुम्हे बदल दिया तो इसका मतलब है की वो ज्यादा प्रवाभी हैं ,पर क्या ऐसा है ?
तुम इतने प्रवाभी बनो की तुम दूसरों को बदल सको दुसरे तुम्हे नही ......................
पिछले कुछ दिनों से जिन्दगी इन्ही तरह के दोराहों से गुजर रही है । दिल किसी और को सही कहता है और दिमाग किसी और को । पर मैं जान चुका हूँ की दिल सही है या दिमाग । ये दिमाग मेरा है और इसने जो समाज में होते देखा है ,वही करना चाहता है ,क्योंकि बदले की भावना इसी दिमाग की उपज है । जिसने मेरे साथ जैसा किया उसके साथ वैसा ही करूँ ,चाहे वो अच्छा हो या ग़लत । ऐसा नही है की मेरा दिमाग सिर्फ़ ग़लत करने को कहता है ,जिसने मेरे साथ अच्छा किया ,उसके साथ उससे कहीं अच्छा करने को भी यही कहता है ।
पर ये दिल बड़ा अजीब है ,और सच मानिये कहीं न कहीं इस दिल में आपके माँ-बाप क संस्कार समाये हुए हैं ,जो आपको एहसास दिलाते रहते हैं की क्या सही है और क्या नही । और यहीं से शुरू होता है अंतर्द्वंद दिल और दिमाग का । पर सच तो यही है की इस दिल ने कभी झूठ नही बोला । ये दिल ही है जो ये कहता है की किसी और के लिए तुम कैसे बदल सकते हो । कोई तुम्हारे साथ कुछ भी करे , तुम हमेशा दूसरों के साथ अच्छा करना । अगर दूसरों ने तुम्हे बदल दिया तो इसका मतलब है की वो ज्यादा प्रवाभी हैं ,पर क्या ऐसा है ?
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