Saturday, November 7, 2009

" तुम्हारे लिए "


हम उनके मुस्कुराने का इंतज़ार करते रहे
जिन्हें मुस्कुराना न था ।
खता उनकी भी क्या कहें
दिल उनका तो ग़मों का खजाना था ।।


तेरी यादों को यादों में सजोंकर ,
मैं बस यादों में ही जीता रहा ।
गिरते हुए आंसुओं को मोती समझा मैंने ,
और मोतियों की चाहत में रोता रहा ।।

3
वो मेरी राहों में काटें बिछाते रहे ,
और हम नदान उनके तरफ़ कदम बढाते रहे ।
वो मेरे जख्मों को देख खुस होते रहे ,
और हम उनकी हँसी में अपना लहू बहाते रहे ।।

4
इन दोस्तों की महफ़िल में ,तुम कुछ अजीब से लगे ,
दूर खढे रहकर भी दिल के कुछ करीब से लगे
अब तो बस दुआ है यही .....
हर किसी को मिले तुझसा दोस्त ,
मुझे कोई बदनसीब सा लगे ।।

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