Wednesday, November 4, 2009

"प्यार"

प्यार हमारी जिन्दगी में क्या महत्तव रखता है ? यह सवाल आज मेरे मन में जाने क्यों उठा ,और उसका जवाब भी आज जब मैने अपने बारे में सोचा की प्यार मेरी जिन्दगी में क्या है तो जाना की इस पुरी जिन्दगी में प्यार ही तो सब कुछ है एक बच्चा जब इस दुनिया में जन्म लेता है, तो वह रोता है , आँसु बहाता है ,वो प्यार भरी आँखे ही उसके जीवन का कारण होती हैं , जो वो अपने चारो तरफ़ देखता है ये आँख उन माँ-बाप की है जो उसी समय से उसके भविष्य के लिए सपने बुनने लगती हैं ,ये आँख उन दादा-दादी की हैं जो उस बच्चे में अपना बचपन ढूंढने लगती हैं प्यार ही वो चीज़ है जिससे ये दुनिया चल रही है प्यार की खोज में हम अपना जीवन निकल देते हैं लेकिन उस प्यार को नही पहचान पाते जो हमारे चरों तरफ़ व्याप्त है

पर जहाँ तक आज की बात है प्यार के मायने बदल गए हैं ,लोग रुपये -पैसे में प्यार को तोलने लगे हैं ये ग़लत है पर सामयिक स्थितियाँ इसके लिए जिम्मेवार हैं क्या जो लोग गरीब होते हैं वो अपने बच्चों से प्यार नही करते ,करते हैं पर हाँ वे उसे वे सुख- सुविधाएँ नही दे पते जो वो उसे देना चाहते हैं

आज जब दोस्तों यारों बीच जब प्यार की बात होती है ,तो बस लोगो का दिमाग प्यार की एक अलग ही परिभाषा लिखता है उनका मानना है की प्यार तो बस एक लड़का -लड़की के बीच में ही हो सकता है ,पर ये ग़लत है आज जो वो दोस्त साथ बैठे हैं इसकी वजह भी कहीं कहीं प्यार ही है में ये भी नही कहता की एक लड़का लड़की के बीच प्यार नही हो सकता ,हो सकता है पर "प्यार" शब्द सुनते ही हम जो सोचते हैं वो सही नही है प्यार जिन्दगी का सबसे पवित्र रिश्ता है ,क्योंकि ये हर रिश्ते मैं होता है प्यार में हमेशा खुसी ही मिले ये भी जरुरी नही ,क्योंकि ये भी जरुरी नही की आप जिससे प्यार करे वो भी आप से प्यार करे प्यार में कोई लेनदेन भी नही , की आपने ज्यादा प्यार किया और सामने वाले ने आपको कम प्यार किया परोक्ष रूप में देखा जाए तो प्यार का दूसरा नाम त्याग है क्योंकि बिना प्यार के आदमी त्याग नही कर सकता


तो इन सब बातों से हम कह सकते हैं , की प्यार में हँसी ही मिले ये जरुरी नही प्यार में रोना भी पड़ता है ,पर हाँ उन आंसुयों का मजा ही कुछ और होता है जो प्यार के लिए गिरें .....................

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