आंखों से आँखें मिलाओ तो जरा ,
फासले बहुत हैं ,इन्हे कुछ घटाओ तो जरा ,
हम तो आगे बढ ही चुके हैं ,
पास तुम भी आओ तो जरा ,
आंखों सेआंखों से आँखें....... आँखे मिलाओ तो जर
कितना ही अरसा इंतजार में गुजरा ,
लबों ने भी बस तुम्हे ही पुकारा ,
हाल-ऐ-दिल अपना तुम भी सुनाओ तो जरा ,
आंखों सेआंखों से आँखें आँखें मिलाओ तो जरा .....................
ना जाने तुम रूठे हो क्यों ,
ना जाने तुम्हे डर है क्या ,
दिल में है क्या बताओ तो जरा ,
आंखों से आँखेंआंखों से आँखें मिलाओ तो जरा ..................
ख़वाहिश यही है की तुम्हे हम समझा तो सकेंगे ,
दुश्मन नही दोस्त बना तो सकेंगे ,
अंजाम क्या होगा ,ऐ-खुदा बताओ तो जरा ,
आंखों से आँखें मिलाओआंखों से आँखें तो जरा ...................
पीयूष वाजपेयी
संवेदना एक अभिव्यक्ति है ,उन सभी के लिए जो मुझसे किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं , मेरे परिवारजन ,मेरे मित्रगण और वो तमाम लोग जो परोक्ष में मुझसे जुड़े हुए हैं....
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6 comments:
hey brothr...mast poem hai...
age bhi kuch banaao zara ;)
gud work dear! :)
"bahut achcha likha hai bhai"
keep it up
thodi or mhnat karo.....
lage raho...........
life me bahuuuuuut tarrakki karni hai tumhe.....
Akhir kiske liye yeh likh rhe ho btaoo to jara ???:P
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