Friday, April 25, 2014

किताब

                                 आज काफी समय के बाद मुझे अपने आप  करने से बात करने का समय मिला।  पुराने दिनों को याद करते हुए  मुस्कराहट चेहरे पर आई और मैंने मुस्कराहट के कारण, मेरे दोस्तों को call किया।  काफी अच्छा लगता है पुराने दोस्तों से बात करना, पुराने दिन जैसे जिन्दा हो जाते हैं, फिर उसी पुरानी खुसी से दिल झूम उठता है।  पर हाँ जो लोग जिंदगी को किताब कहते हैं और हर एक नए दिन को उस किताब का पन्ना , आज मुझे उनकी वो बात चरितार्थ सी होती लगी।
                               हर दिन का पन्ना लिखते - लिखते जब यह किताब  भर जाती है, तो दूसरी किताब शुरू हो जाती है और यह पुरानी किताब यादों की अलमारी में रख दी जाती है।  हर किसी बन्दे का ढंग अलग होता है इन पुरानी किताबों को सहेजने का।  कोई तो इसे कीमती वस्तु के जैसे अलमारी में सहेजता है, तो कोई तो बस यूँ ही रख देता है कहीं , जैसे शायद  उसे इस पुरानी किताब की जरुरत ही न हो।  आज जब मैंने अपनी यादों की अलमारी से अपनी वो किताब निकाली और उसमे लिखे हुए पुराने दिनों को याद करते हुए जब मैंने अपने उन दोस्तों को call किया तो जाना की उनमे से कुछ ने मेरी यादों को मेरी ही तरह अलमारी में सहेज कर रखा है और कुछ की वो किताबें धुल मिटटी खाती  किताबों का हिस्सा हैं , कुछ की किताबों से तो वो पन्ना फट ही गया या सायद चूहे खा गए जिनमे मेरी यादें थी।
                                मुझे कोई अफ़सोस नहीं , बदलाव तो प्रकृति का नियम है।  जब कुछ लोग हमारे नए साथी बनते हैं तो कुछ अपने आप ही पुराने हो जाते हैं।  पर हे प्रभु ! मेरी यही विनती है कि मुझे नए साथी देना , मैं खूब प्यार लूटा सकूँ उन पर , पर मेरे किसी साथी को पुराना मत करना, मेरी यादों की किताब का हर पन्ना  है , किसी भी पन्ने  को फटने मत देना ,मेरी किताब के पन्ने  पीले मत पड़ने देना।


felling blessed..........
24/11/2013

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