यादें
जिन्दगी आज मुझे है किस मोड़ मैं ले आई,
जहां मैं हूँ और है मेरी तनहाई ।
दूर -दूर तक बस दुःख की घटा नजर आती है ,
आँखों से अश्को की धरा बह ही जाती है ।
याद आते हैं वे गुजरे हुए दिन ,
जब हम पल भी न गुजारा करते थे यारों के बिन ।
याद आती हैं ,वे गलियां जिनमे बीता है बचपन ,
आज हम तो यहाँ है ,पर वहीं है हमारा मन ।
जिन्दगी क्यों ऐसे रूप लेकर आती है ,
दो पल की खुसी देकर जीवन भर सताती है ।
सिर पर माँ -बाप का रखा हाँथ नजर आता है ,
याद कर के ही ये दिल तड़पा जाता है ।
याद आती हैं जीवन की वो रस्में ,
याद आती हैं दोस्ती की वो क़समें ।
ये दिल तो बस ग़मों को पीता है ,
याद करके ही ये दिल जीता है ...... ।
पीयूष वाजपेयी
2 comments:
acha hai.......
all d poems r really very gud keep writing ......
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